प्रभारी मंत्री का असर अफसर जागे रात भर

kabir Sharma
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मेरठ। इसे प्रभारी मंत्री का अफसरों पर असर ना कहें तो क्या कहें चौबीस घंटे पहले मेला नौचंदी का जो मैदान गंदगी व कीचड़ से लबालब था रातों रात वहां सब कुछ चकाचक कर दिया गया। मेला स्थल पर जहां पानी भरा था हर तरफ कीचड़ फैली हुई थी नगर निगम के अफसरों का अमला वहां पूरी रात रहकर मैदान को सुखाने की कवायद में जुटा रहा। मेले के लिए आनन-फानन में दुकानदाराें को मैसेज भेजकर बुलाया गया ताकि प्रभारी मंत्री के सामने ऑल इज वैल लगे, क्योंकि खामियों को लेकर प्रभारी मंत्री की पूर्व में लगी फटकार नगर निगम के अफसर अभी शायद भूले नहीं है, उस फटकार का ही असर है जो मेला स्थल पर प्रभारी मंत्री धर्मपाल के पहुंचने से पहले ही रातों रात सब कुछ ठीक करा दिया गया। मजदूरों की पूरी फैज उतार दी गयी। जहां कीचड़ व पानी भरा था, वहां कई-कई ट्रक लगाकर मिट्टी डलवा दी गयी। जो दुकानदार मेले के लिए शॉर्ट नोटिस पर बुलाए गए हैं उनको भी लेबर दे दी गयी ताकि वो अपनी दुकानों में जहां पानी भर गय है वहां मिट्टी डलवा लें और लगे कि मेले के लिए नौचंदी का मैदान पूरी तरह से तैयार है। पटेल मंडप के पास भी मजदूरों की फौज लगाकर सफाई करा दी गयी। बाले मिया मजार और तिरंगा गेट जहां पूरा साल आसपास के इलाके की गंदगी डंप की जाती है वहां भी सफाई के लिए कई-कई जेसीबी लगवा दी गयीं। ट्रकों को लगाकर कूडा अन्यत्र भिजवा दिया गया। मेले के लिए लाइट का इंतजाम करा दिया गया। नौचंदी देवी मंदिर परिसर में जो झूले वाले आ चुके हैं उनको हिदायत दी गयी है कि मेले के उद्घाटन के वक्त ऐसा नजर आना चाहिए कि झूले तो पहले से ही एक्टिवेट हैं। मेला चालू हालत में दिखाने के लिए जो कुछ भी जरूरी है वो सब कराया जा रहा है ताकि प्रभारी मंत्री को बस कुछ ऑल इज वैल बताया जा सके।

गढ़ रोड गांधी आश्रम से मेला नौचंदी की ओर जाने वाली सड़क को अफसरों ने रातों रात बना दिया। आसपास के दुकानदारों ने बताया कि यह सड़क अरसे से बदहाल थी। कई बार नगर निगम अफसरों से शिकायकत की जा चुकी थी लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। लेकिन बीती रात अचानक कई ट्रकों में भर कर रेडीमेड रोडी आयी ओर यहां डंप कर रातों रात सड़क तैयार भी कर दी गयी। यह बात केवल इस रोड भर की नही है। पूरे मेले की यदि बात करें तो वीआईपी का जब तक कार्यक्रम नहीं लगा था तब तक अफसर भी मेले की ओर से पूरी तरह नींद में थे। होना तो यह चाहिए था कि आंधी तूफान के बाद तुरंत काम शुरू करा दिया जाता, लेकिन काम शुरू तब शुरू कराया गया जब प्रभारी मंत्री का कार्यक्रम फाइनल हो गया।

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मेला नौचंदी में ठेकेदारों की दबंगई और अफसरों की मेले को लेकर उदासीनता के चलते बाहरी दुकानदारों ने अब नौचंदी मेले से दूरी बना ली है। यही कारण है जो मेला जब पूरे शबाब पर होता है तब भी तमाम दुकानें खाली पड़ी रहती हैं। दुकानों को लेकर एक और बात बेहद चौकाने वाली बतायी गयी है वो यह कि मेले में चार पांच दुकान माफिया सक्रिय है जो स्टाफ से सांठगांठ कर कई-कई दुकानें अपने नाम करा लेते हैं। नाम ना छापे जाने पर मेले में आए दुकानदारों ने इस संवाददाता को बताया कि बाद में कय्यूम और तिवारी जैसे दुकान माफिया जो दुकाने दस हजार में निगम से लेते हैं उसको चालिस हजार तक में देते हैं। इस लूट के चलते अब दुकानदार मेले से कन्नी काटने लगे हैं। सबसे ज्यादा मुसीबत बिजली को लेकर है। दुकानदारों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि अलीगढ में दस हजार रुपए किलोवाट के हिसाब से उन्हें कनेक्शन मिलता है यहां 18 हजार रुपए किलोवाट और उस पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूली जाती है। इसके अलावा तहबाजारी और किलोवाट के अलावा भी ठेकेदार के बाउंसर वसूली करते हैं। जानलेवा गर्मी में बगैर बिजली के रहना पड़ता है। एक पंखे के नाम पर अनाप शनाप पैसों की मांग की जा रही है। अफसरों से तमाम शिकायतें की जाती हैं लेकिन अफसर का रवैया ना खाता ना बही जो ठेकेदार कहे वो सही वाला होता है।

मेला नौचंदी में जहां स्टाफ और दुकान माफियाओं ने खेल कर सरकार को रेवेन्यू का चूना लगा दिया। मेला परिसर में जहां सर्कस लगता है वहां पिछले साल 12 लाख का ठेका छोड़ा गया था बताया जाता है कि वही ठेका इस बार लगभग आधे रेट पर कर दिया गया है। इसके अलावा जहां सर्कस लगता है वहां पर ठेकेदार ने झूले लगवा दिया। दरअसल झूले वालों से कमाई ज्यादा होती है। इतना ही नहीं सर्कस के लिए जो जगह अलाट की गयी है उसको उसको भी कम कर दिया गया है।

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मेला नौचंदी में जहां मौत का कुंआ लगा है वहां हकीकत में सिर पर मौत झूल रही है। मौत के कुंए व उसके आसपास लगे झूलों के पास से हाइटेंशन लाइन जा रही है। इन दिनों आंधी तूफान व तेज हवाओं के चलते यदि मेले के दौरान कोई बिजली का तार टूट गया तो कितनी बड़ी जनहानि होगी यह देखने की फुर्सत या सहूर अभी अफसरों में नजर नहीं आ रहा है। खुले में सरेआम बिजली के तार झूलों के ऊपर से जा रहे हैं लेकिन वहां फिर भी झूले लगवा दिए गए हैं। यह सिर्फ और सिर्फ हादसों को दावत देने सरीखा है।

उक्त तमाम मामलों महापौर हरिकांत अहलूवालिया और नगरायुक्त सौरभ गंगवार से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया, लेकिन दूसरी ओर से काॅल रिसीव नहीं की गई। जिसकी वजह से अधिकारियों का इस मामले में क्या कहना है कि सब नहीं दिया जा सका। यदि अधिकारी अपना पक्ष बताएंगे तो उसको प्रमुखता से स्थान दिया जाएगा।

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