बीस दिन पहले रास्ते बंद व घरोें में कैद करने की क्या तुक
मेरठ कांवड के जलाभिषेक से करीब बीस दिन पहले इंतजाम के नाम पर लोगों को घरों में कैद कर देने और पूरे शहर की रफ्तार पर बैरियर डाल देने की तुक समझ से परे है। वहीं दूसरी ओर पिछले दिन ट्रांसपोर्टरों के साथ हुई बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था। शिवरात्री का जलाभिषेक संभवत: 24 या 25 जुलाई का है। लेकिन अधिकारियों ने इंतजामों के नाम पर 20-25 दिन पहले ही लोगों को घरों में कैद कर दिया। रूड़की रोड कांवड़ मार्ग पर कुछ ऐसा ही किया गया। तमाम कालोनियों और घर व दुकानों के आगे बैरियर लगा दिए गए। यह बात अलग है कि इससे नाराज लोगों ने इस इंतजाम का विरोध करते हुए इन्हें कुछ स्थानों पर उखाड़ भी दिया। लोगों के विरोध को देखते हुए ऐसा करने वाले अफसर भी बैकफुट पर आ गए। इसके बाद इंतजामों के नाम पर शहर में ट्रैफिक के पहिये थामने के लिए बीच रास्ते पर बल्लियां लगा दीं गयी। लोगों को परेशानी सड़क के बीचों बीच बल्लियों से नहीं बल्कि इसके नाम पर जो बदइंतजामी की गयी है, उससे विरोध है। बच्चापार्क से पूरे रूड़की रोड और शहर में तमाम ऐसे स्थानों पर बल्लियां लगाने के नाम पर यह ध्यान नहीं रखा गया कि एक ओर से दूसरी ओर जाने के लिए लोग क्या करेंगे। बल्लियां इतनी लंबे रास्ते पर लगा दी गयी है कि यूटर्न की भी जगह नहीं छोड़ी गई है। कुछ स्थानों पर तो करीब एक किलोमीटर तक यूटर्न लेने का रास्ता नहीं रखा गया है। रूड़की रोड व महानगर के तमाम दूसरे स्थानों पर इंतजाम के नाम पर ऐसा ही किया गया है। कमोवेश यही स्थिति हाइवे पर बना दी गयी है। इस संबंध में ठेकेदार के लोगों से जब सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि जैसा अफर बोलेंगे, वैसा ही किया जाएगा। कोई अफसर इस संबंध में बोलने को तैयार नहीं। जिससे भी सवाल करो उनका यही कहना होता है कि संयुक्त बैठक में लिए गए फैसले पर ना कुछ कहना ना कÜ
जोड़ जोड लोग घरों में कैद
बैरिकेटस तोड़ ना तो क्या करें
इंतजाम के नाम पर शहर भर में भारी ट्रैफिक वाले इलाकों को भी बल्लियां लगाकर बंधक बनाना दिया है। ऐसे ही कुछ इलाकों में लोगों ने इन इलाकों में बल्लियां तोड़ डाली हैं। इंतजाम के नाम पर जो व्यवस्था की गयी है। उनसे परेशान हाल लोग यदि बल्लियां तोड़कर निकलने का रास्ता ना बनाएं तो फिर क्या करें