बहुतों का बिगाड़ता है काम जाम

kabir Sharma
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मेरठ। शहर में लगाने वाला जाम बहुत लोगों का काम बिगाड़ देता है। ऐसा नहीं कि इसके लिए कुछ किया नहीं जा सकता। यदि प्रशासन, नगर निगम और मेरठ विकास प्राधिकरण के साथ ट्रैफिक पुलिस मिलकर कार्य योजना बनाएं और उस पर काम किया जाए तो जाम की मुश्किल को हल भी किया जा सकता है। पहले बता दे कि जाम की वजह से कौन कौन सी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। जाम की वजह से वकील देर से कोर्ट पहुंचते हैं। कई बार जाम में डाक्टर और मरीज फंस जाते हैं। जाम की वजह से जिन्हें काम में देरी होती है उनकी लंबी फेरिस्त है और तो और एनएच-58 पर लगने वाले जाम में तो सैलानी फंस जाते हैं। सबसे ज्यादा मुसीबत खड़ौली और सिवाया टोल प्लाजा पर उठानी पड़ती है।

हाइवे पर इन दिनों भारी प्रेशर

सैलानियों के बाहर यानी पहाड़ों की ओर रूख करने के चलते वाया मेरठ दिल्ली देहरादून हाइवे पर दिन में कई बार भीषण जाम की स्थिति बन जाती है। सबसे बुरा हाल सिवाया टोल प्लाजा पर होता है। आसमान से बरस रही आग के चलते इस समय लोग पहाड़ों का रूख कर रहे हैं। जिसकी वजह से दिल्ली देहरादून हाइवे पर ट्रैफिक का प्रेशर बढ़ गया है। सिवाया टोल प्लाजा के अलावा मेरठ में एनएच-58 के खड़ौली और रोहट फ्लाई ओवर के समीप भी जाम सरीखे हालत बने रहते हैं। केवल खड़ौली ही नहीं पहाड़ों की ओर भाग रही गाड़ियों की वजह से एनएच-58 जहां तक जाता है, वहां कई स्थानों पर जाम मिल जाएगा। कुछ लोग तो जाम से बचने के लिए कांवड़ नहर पटरी मार्ग और भराला सिवाया पटरी मार्ग से भी निकलने का प्रयास करते हैं। जब से इन रास्तों की जानकारी हुई है तब से गाड़ियां यहां भी जाम में फंसी रहती हैं। पहाड़ों की ओर जाने वाली गाड़ियों में बड़ी संख्या गुडगांव, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली गाजियाबाद वालों की होती हैं। दरअसल सर्दी के मौसम में तो इन गाड़ियों का रूख आगरा और वृंदावन की ओर होता है, लेकिन आसमान से बरती आग के चलते ये लोग गर्मी के मौसम में पहाड़ों का रूख करते हैं।

पहाड़ों पर होटल फुल

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हालांकि जो लोग पहाड़ों पर गए हैं वो बताते हैं कि गर्मी के सीजन की वजह से इस समय पहाड़ों पर गए हैं उन्होंने कॉल कर बताया कि पहाड़ों पर इस वक्त जबरदस्त भीड़ है। तमाम होटल व रिजोर्ट फुल हो गए हैं। सबसे बुरा हाल तो पहाड़ों की रानी मसूरी का है। मसूरी में ज्यादातर होटलों में हाउस फुल के बोर्ड लगा दिए गए हैं। वहां तो इस वक्त बेटिंग चल रही है। देहरादून से मसूरी की ओर जाने वाले रास्त पर टूरिस्टों की गाड़ियां अपनी बारी आने के इंतजाम में खड़ी हैं। तमाम ऐसे लोग हैं जो अपनी बारी आने के इंतजार में गाड़ियों में ही बैठे हैं। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि गाड़ी में पूरी रात या पूरे दिन बैठना पड़ रहा है। होटल जल्दी-जल्दी खाली भी हो रहे हैं। लेकिन पहाड़ों पर जाम की स्थित है। हालत यह है कि घर से निकल कर रास्ते और फिर गतव्य यानी पहाड़ों तक जाम ही जाम मिल रहा है। रास्ते में मिल रहे जाम की वजह से टूर का मजा किरकिरा हो रहा है।

जाम से शहर में भी बुरी स्थिति

वहीं अपने शहर के जाम की बात करें तो शहर में जाम की समस्या गंभीर रूप से बनी हुई है। खासकर हापुड़ अड्डा, दिल्ली रोड और रुड़की रोड पर जाम की स्थिति अक्सर देखी जाती है। हाल ही में, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर मरम्मत कार्य के कारण भी जाम की समस्या बनी हुई है।इसका कारण सड़कों का संकरा होना:दिल्ली रोड पर रैपिड ट्रेन के निर्माण कार्य के कारण कई जगहों पर सड़कें संकरी हो गई हैं और बैरिकेड के कारण आवागमन प्रभावित हो रहा है. अतिक्रमण:सड़कों पर अवैध अतिक्रमण भी जाम का एक प्रमुख कारण है, खासकर हापुड़ रोड पर.रैपिड ट्रेन का निर्माण:दिल्ली रोड पर रैपिड ट्रेन का निर्माण कार्य भी जाम की समस्या को बढ़ा रहा है.  ई-रिक्शा और ठेले:सड़क पर ई-रिक्शा और ठेले का अवैध संचालन भी जाम में योगदान करता है. यातायात का दबाव:शहर में वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ यातायात का दबाव भी बढ़ रहा है. रिंग रोड का अभाव:शहर में रिंग रोड का अभाव भी जाम की समस्या को बढ़ा रहा है, जिसके कारण वाहनों को शहर के अंदर ही घूमना पड़ता है. 

बस इतना करना है प्रशासन व पुलिस को

सड़कों से अतिक्रमण हटाने से यातायात सुगम होगा, सड़कें चौड़ी करने से बिजली बंबा बाईपास जैसे सड़कों का चौड़ीकरण जाम को कम करने में मदद करेगा,  रिंग रोड के निर्माण से शहर के अंदर यातायात का दबाव कम होगा, भैंसाली बस स्टैंड जैसे बस अड्डों को शहर के बाहर स्थानांतरित करने से शहर में यातायात का दबाव कम होगा,  ई-रिक्शा और ठेले के लिए कायदे कानून बनाने से भी जाम की समस्या कम हो सकती है, दिल्ली रोड और अन्य सड़कों पर यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए एक अलग योजना बनाने की आवश्यकता है। जाम में फंसने की वजह से लोगों का वक्त बर्बाद होता है। उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। जाम में फंसने की वजह से व्यापारियों का भी वक्त बर्बाद होता है, उन्हें कारोबारी नुकसान होता है। इसके अलावा जाम की वजह से कई बार एम्बुलेंस फंस जाती है मरीजों को समय से अस्पताल पहुंचाने में देरी होती है।

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