कैंट बोर्ड: होते-होते रह गया निशांत कांड़, एक अरब से ज्यादा की संपत्ति आबूलेन स्थित ओल्ड ग्रांट के बंगले के कांड़ की पूरी तैयारी कर ली गई थी। भारत सरकार की इस संपत्ति कोखुर्दबुर्द करने की साजिश की पठकथा को जिस प्रकार से कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन ने लिखा था, उसके चलते चूक की कहीं से कहीं तक कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई थी। मुटेशन को पूरी सावधानी बरतते हुए किसी प्रकार के चेज ऑफ परपज, सब डिविजन ऑफ साइट व अवैध निर्माण न होने की रिपोर्ट लगाई गयी, लेकिन रिपोर्ट लगाने वाले इंजीनियरिंग सेक्शन के एई व जेई की यह कारगुजारी कैंट बोर्ड मेरठ के तेज तर्रार समझे जाने वाले सीईओ की निगाहों से छिपी नहीं रह सकीं, सो जवाब तलब कर लिया गया। ओल्ड ग्रांट का यह बंगला जिसमें निशात सिनेमा हाल भी मौजूद है, जीएलआर में किन्हीं भार्गव बंधुओं के नाम दर्ज है। साल 2002 में भार्गव बंधु एंड परिवार ने इसको खुर्दबुर्द करने की तैयारी कर ली थी। कथित फर्जी फ्री होल्ड पेपर पेश कर हिन्दुस्तान लीज एंड कंस्ट्रक्शन के किसी सुभाष सपरा के नाम बैनामा कर दिया था। उस वक्त कैंट बोर्ड के सीईओ केजेएस चौहान थे। उन्होंने अदालत का सहारा लिया। जिसके बाद बैनामा निरस्त हुआ। सबसे बड़ी बात निशात की संपत्ति को खुर्दबुर्द करने के मामले में पूर्व में तत्कालीन रक्षा सचिव को अदालत की अवमानना का दंड़ झेलना पड़ा था। विधि विशेषज्ञों की राय है कि यदि बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के अफसरों की साजिश कामयाब हो गयी होती तो एक अरब से ज्यादा कीमत की भारत सरकार की यह संपत्ति खुर्दबुर्द होने से फिर कोई नहीं रोक सकता था। निशात सिनेमा हाल तो तोड़कर भव्य कांप्लैक्स बनाने का प्लान था। इसके लिए रिपोर्ट की एवज में भारी भरकम लेनदेन की भी चर्चा आम है। यह भी पता चला है कि इस संपत्ति के पिछले हिस्से में कैंट बोर्ड का जो खत्ता है, लेनदेन में उसको हटावा देने की शर्त भी शामिल की गई थी। लेकिन कारगुजारी सीईओ ने पकड़ ली और निशांत कांड टल गया।