मेला नौचंदी के उद्घाटन के दौरान के घटनाक्रम के लेकर शासन गंभीर, अफसरों ने उद्धघाटन कार्यक्रम दिखाया है दस लाख का खर्चा, लिया जाएगा हिसाब किताब पूछा जाएगा क्यों किया ऐसा, मोदीपुरम स्थित कांटीनेंटल कंपनी के खाली जमीन पर डीएम को तत्काल कब्जे के निर्देश, ,वक्त व ट्रस्ट की जमीन खुर्दबुर्द करने वालों की खैर नहीं एक एक इंच जमीन का लिया जाएगा हिसाब

मेरठ/ नौंचदी मेले के उद्घाटन कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों को न्यौता ना दिया जाना और महापौर की प्रतीक्षा ना किया जाना आयोजन समिति से जुडे तमाम बडे अफसरों के गले की फांस बनने के आसार नजर आ रहे हैं। प्रदेश की प्राकलन समिति के निर्देश पर एक कमेटी मेरठ पूरे मामले की जांच के लिए आएगी और 15 दिन के भीतर पूरे घटनाक्रम के लेकर अधिकारियों से सवाल जवाब करेगी कि किस वजह से जनप्रतिनिधियों को उद्घाटन कार्यक्रम का न्यौता नहीं भेज गया। मेला आयोजन का पूरा कार्य नगर निगम मेरठ कर रहा है, उसके बावजूद उद्धाटन कार्यक्रम में महापौर का इंतजार क्यों नहीं किया गया। प्राकलन समिति ने इसको जनप्रतिनिधियों व महापौर का अनादर माना है। सूत्रों की मानें तो यह मामला अब मेरठ के कुछ अफसरों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। यह भी संभव है कि किसी बडे अधिकारी के अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ जाए। दरअसल बीते मंगलवार को लखनऊ में सभापति अमित अग्रवाल (मेरठ कैंट विधायक) ने प्रदेश की प्राकलन समिति की बैठक ली। उस बैठक में मेला नौचंदी के उद्घाटन के घटनाक्रम का मामला भी उठा। उस पर चर्चा हुई, जिसके बाद सभापति ने सदस्यों की भावनाओं को देखते हुए उक्त मामले की जांच के लिए एक समिति भेजने की बात कही।
कान्टीनेंटल कंपनी को दी खाली जमीन पर तत्काल कब्जा लेने के डीएम को निर्देश

प्राकलन समिति की बैठक में मेरठ की मोदीपुरम स्थित कान्टीनेंटल कंपनी को दी गयी जमीन पर कोर्ट के आदेश के मामले पर भी चर्चा हुई। सभापति ने स्पष्ट किया कि कोर्ट के आदेश से जमीन पर सरकार के स्वामित्व पर कोई असर नहीं पड़ता है। इसके अलावा जो शर्तें जमीन को लेकर तय की गयी थीं, कंपनी ने उनका पालन नहीं किया। जमीन को दुरूपयोग किया। वहां कालोनी काट दी गयीं, क्लब बना दिए, स्कूल बना दिए। यह सब कार्य सरकार की अनुमति के बगैर किया गया।
एक एक इंच का जमीन का देना होगा हिसाब

प्राकलन समिति की बैठक में वक्फ व ट्रस्ट द्वारा संपत्ति खुर्दबुर्द करने वालों से भी एक-एक इंच का जमीन का हिसाब लिए जाने का निर्णय लिया गया है। सभापति अमित अग्रवाल ने बताया कि जमीदारे को लेकर 8 अगस्त 1946 से पूर्व जो संकल्प लिया गया था जिसके तहत चाहे ट्रस्ट हो या वक्फ हो कोई भी जमीन खुर्दबुर्द नहीं करेगा, लेकिन इसके बावजूद तमाम जमीनें खुर्दबुर्द की गयी हैं। प्राकलन समिति की बैठक में जानकारी दी गई कि इस प्रकार की जितनी भी जमीने हैं उनका पूरा ब्योरा जुटाया जाएगा। वो भले ही ट्रस्ट हो या फिर वक्फ उनसे एक-एक इंच जमीन का हिसाब लिया जाएगा। ज्यातार जमीन भूमाफियाओं को बेचकर खुर्दबुर्द करने वालें पर शिकंजा कसा जाएगा।
कैंट संगठन ने किया विवेक का स्वागत
भाजपा का सक्रिय सदस्यता सम्मेलन