ठेका 361 का मौके पर हजार से ज्यादा, निगम तंग हाल अफसर व माफिया मालामाल

मेरठ। पूरे महानगर में अवैध होर्डिग्स के रूप में लोगों से सिर पर मौत मंडरा रही है और इसके लिए जिम्मेदार अफसर चुप्पी साधे हैं। दो दिन पहले आयी आंधी व बारिश में सबसे ज्यादा कहर होर्डिग्स की वजह से ही बरपा। महानगर में शहर से लेकर देहात तक फैले अवैध होर्डिग्स के जाल व कारोबार से अफसर और होर्डिग माफिया भले ही मालामाल हो रहे हो, लेकिन नगर निगम का खजाना इनकी वजह से तंग हाल है। होर्डिंग की कमाई का जो पैसा माफिया व कुछ अफसरों की जेब में जा रहा है, वो यदि सरकारी खजाने में जमा हो तो महानगर के विकास की जो बात जनता के नुमाइंदे कर रहे हैं वो विकास धरातल पर दिखाई देने लगेगा। एक दिन पहले तमाम अफसर और जनता के नुमाइंदों ने मेरठ विकास के लिए मंथन किया। लाखों करोड़ रुपए की जरूरत की दरकार की बात कही गयी। लेकिन जब तक सिस्टम को चलाने वालों में कुछ भ्रष्ट अफसर शामिल रहेगे और ऐसे भ्रष्ट अफसर जो होर्डिंग्स माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने वालों के खिलाफ मुकदमें दर्ज करा दें। यदि शासन की कोई जांच ऐसेंसी मेरठ आकर जांच करे तो होर्डिग्स माफिया और उनके मददगार भ्रष्ट अफसरों का तो पर्दाफाश होगा ही साथ ही सरकारी खजाने जो सूखा पड़ गया है वो हरियाली में तब्दील हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि मेरठ में अवैध हाेर्डिग्स का कारोबार नहीं है। मेरठ में केवल और केवल अवैध होर्डिग्स का ही कारोबार है। नियम के अनुसार तो बामुश्किल बीस फीसदी होर्डिग्स ही होंगे। यदि जांच करा दी जाए तो दूध का दूध पानी की पानी हो जाएगा। लेकिन जांच केवल अवैध होर्डिग्स की गिनती तक नहीं सिमट कर रह जानी चाहिए। जांच हाेर्डिग्स माफियाओं व जो अफसर उनके करीबी माने जाते हैं उनके कनेक्शन की भी हाेनी चाहिए।
माफिया के बजाए पोल खोलने वालों पर एफआईआर
होर्डिग्स माफियाओं के खिलाफ उठने वाली आवाजों पर कार्रवाई के बजाए जो आवाज उठा रहे हैं उन पर अफसर कार्रवाई करा रहे हैं। कोई दूसरा आवाज ना उठाए आरोप है कि इसी के चलते एफआईआर भी दर्ज करा रहे हैं। जानकारों की मानें तो नगर निगम के अधिकारियों से साठगांठ कर होर्डिंग माफिया ने अनुबंध से तीन गुना ज्यादा यूनिपोल लगा रखे हैं। इसमें निगम को राजस्व की भारी हानि हो रही है। यहां तक दावा किया जा रहा है कि यदि इसकी जांच करा ली जाए तो कई अफसर फंस सकते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यही कि होर्डिग्स माफिया की धुन पर नाचने वाले अफसरों के खिलाफ शासन ने कौन हाईलेबल कमेटी बनाकर जांच की सिफारिश करेगा। क्योंकि भ्रष्टाचार की इस गंगा में तो सभी गोते लगा रहे हें। बताया गया है कि महानगर में 361 यूनिपोल लगाने का अनुबंध सन 2022 में दो साल के लिए हुआ है। लेकिन निगम के कुछ पार्षदों की मानें तो शहर में एक हजार से ज्यादा यूनिपोल लगे हैं। नगर निगम के अधिकारियों से साठगांठ कर ठेकेदार अवैध होर्डिंग लगाकर पैसे के लिए कमाई कर रहे हैं।
अफसर और आवाज उठाने वाले आमने सामने
होर्डिग्स माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले सीसीएसयू के छात्र और जिन अफसरों पर उनका करीबी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं वो आमने सामने हैं। सीसीएसयू के छात्र विनीत चपराना और राहुल कस्तला आदि ने महानगर में लगाए गए अवैध होर्डिग्स की जांच व अफसरों पर संरक्षण का आरोप लगाया है वहीं दूसरी ओर आवाज उठाने वाले छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि उनकी आवाज दबाने के लिए अफसरों के इशारे पर उन्हें धमकी दी गयीं। इसके इतर पिछले दिनों निगम के अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार ने बताया कि जुर्माना लगाया गया और अबकी बार आरसी भी जारी करेंगे। तहसील को जानकारी देकर अवैध होर्डिंग्स लगने वालों को तहसील स्तर से नोटिस भिजवाने का कार्य चल रहा है। होर्डिंग्स लगाने वालों की संपत्ति जब्त करेंगे। यूनिपोल काटकर निगम में लाया जाएगा।
अवैध होर्डिंग बताकर एक सप्ताह पहले साकेत आईटीआई के पास तीन यूनिपोल को काट दिया गया। इसको लेकर भाजपा कार्यकर्ता राहुल कस्तला और निगम संपत्ति अधिकारी भोलेनाथ गौतम के बीच तीखी नोंकझोक हो गई थी। इस पर संपत्ति अधिकारी ने भाजपा कार्यकर्ता राहुल कस्तला और अमर शर्मा के खिलाफ सिविल लाइन थाने मे मुकदमा पंजीकृत कराया था। मंगलवार को भाजपा कार्यकर्ता राहुल कस्तला, छात्रनेता विनीत चपराना सहित भाजपा कार्यकर्ता और छात्रों ने कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। राहुल कस्तला ने एसीएम सदर को ज्ञापन दिया। विनीत चपराना ने चेतावनी दी कि अगर होर्डिंग ठेकेदार और निगम के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन करेंगे।
देहात में भी माफिया का लूट का कारोबार
देहात तक होर्डिंग्स माफिया का खुलेआम लूट का धंधा चल रहा है। छात्र नेता विनीत चपराना ने बताया कि माफिया का हर जगह लूट के इस कारोबार की वजह अफसर हैं। जब तक शासन अफसरों पर चाबुक नहीं चलाएगा तब तक माफिया पर अंकुश संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल लगाकर सरकार को करोड़ों का नुकसान कराने में नगर निगम भी जिम्मेदार है। चौतरफा किरकिरी होने पर निगम ने फिर पहले की तरह जुर्माना नोटिस भेजकर खानापूर्ति करके होर्डिंग्स माफिया को खुली छूट दे दी है। दस साल में किसी भी माफिया से अवैध होर्डिंग्स या यूनिपोल में जुर्माना नहीं वसूला गया। इससे निगम की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। चौतरफा किरकिरी होने पर निगम ने फिर पहले की तरह जुर्माना नोटिस भेजकर खानापूर्ति करके होर्डिंग्स माफिया को खुली छूट दे दी है। दस साल में किसी भी माफिया से अवैध होर्डिंग्स या यूनिपोल में जुर्माना नहीं वसूला गया। इससे निगम की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। मुंबई में होर्डिंग्स से हादसे में 14 लोगों की मौत, बंगाल में आंधी तूफान और देशभर में होर्डिंग्स-यूनिपोल से लगातार हादसे हो रहे है। कब और कहां जर्जर या अवैध होर्डिंग्स किसके ऊपर गिर जाए, कोई नहीं जानता।
नगर निगम दस साल में दस करोड़ रुपये से भी ज्यादा जुर्माना लगाना बताकर होर्डिंग्स माफिया को नोटिस जारी कर चुका। अभी तक एक रुपया भी निगम किसी से वसूल नहीं पाया। यह कार्रवाई तो सिर्फ महज खानापूर्ति के लिए है। हकीकत है कि निगम अधिकारियों की मिलीभगत से होर्डिंग्स माफिया सड़क और निजी घरों पर अवैध होर्डिंग और यूनिपोल का जाल फैला है। मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे और हाईवे सब जगह अनगिनत यूनिपोल लगे हैं, जो कि बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। कई जगह डायरेक्शन बोर्ड के नाम पर डिवाइडर और चौराहों पर यूनिपोल खड़े कर दिए।
ठेकेदार के भी दस गुना ज्यादा होर्डिंग्स
नगर निगम ने जिस एजेंसी को महानगर में होर्डिंग्स या यूनिपोल लगाने का ठेका दिया हुआ है, उसके भी दस गुना ज्यादा होर्डिंग्स लगे है। भाजपा और सपा नेताओं के समर्थकों ने होर्डिंग्स लगा रखे है। निगम के अधिकारी अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई करने पहुंचते है तो नेताओं के फोन आ जाते है। निगम की टीम को वापस लौटना पड़ता है। हाल में निगम और होर्डिग्स माफिया का विवाद हो गया था। भाजपा के एक नेता ने निगम के अधिकारियों को फोन किया, जिसके बाद टीम को वापस लौटना पड़ा। नगर निगम प्रशासन ने दिल्ली रोड, गढ़ रोड, हापुड़ रोड, कमिश्नरी आवास चौराहा से तेजगढ़ी, तेजगढ़ी से एल ब्लॉक शास्त्रीनगर, मोदीपुरम से कैंट होते हुए मवाना रोड सहित छह मार्गों को बीओटी पर दिया हुआ है। ठेका समाप्त हो गया, इसके बावजूद भी शहर में अवैध होर्डिंग्स लगाने का धंधा चलता रहा। 2022 से 2024 तक ठेका नहीं हुआ।