आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजिमेंट की पटना निवासी 98 वर्षीय आशा चौधरी के पुत्र और वीर चक्र प्राप्त गाजियाबाद के कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी सम्मानित, मोइरांग दिवस पर कार्यक्रम

गाजियाबाद। मेरठ के स्वामी विवेकानंद सुभारती महाविद्यालय में स्वामी विवेकानंद सुभारती, महाविद्यालय के हजारों छात्र छात्राओं व अध्यापकों ने मोइरांग दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित कर आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजिमेंट की पटना निवासी 98 वर्षीय आशा चौधरी के पुत्र और वीर चक्र प्राप्त गाजियाबाद के कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी को सम्मानित किया। राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने बताया की मार्च 1944 में तीन जापानी डिविजनों ने आजाद हिंद फौज की तीन ब्रिगेड के साथ मिलकर बड़ी नदियों, पर्वतीय श्रृंखलाओं और घने जंगलों को पार किया और मणिपुर घाटी पर आक्रमण करना शुरू कर दिया। एक जापानी डिवीज़न ने आईएनए की एक रेजिमेंट के साथ मिलकर कोहिमा पर कब्ज़ा कर लिया जिससे इम्फाल में अंग्रेजों की सेनाओं का सप्लाई रूट कट गया और उन्हें सभी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति हवाई मार्ग से करनी पड़ी। इसके बाद,13 अप्रैल 1944 की शाम को दक्षिणी पहाड़ी श्रृंखला से मोइरांग की ओर आजाद हिंद फौज की एक बटालियन और जापानी सेना की एक कंपनी द्वारा तोपों की गोलाबारी के साथ
मोरांग पर हमला शुरू हुआ। जिसमें ब्रिटिश सेना के एक बड़े दल को पीछे हटना पड़ा। कर्नल शौकत हयात अली मलिक ने 14 अप्रैल 1944 की शाम को ऐतिहासिक मोइरांग कांगला में तिरंगा झंडा फहराया। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की यह भारत में पहली हार थी।
उन्होंने कहा कि 14 अप्रैल 1944 को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अविभाजित भारत की स्वतंत्रता के दिन के रूप में याद किया जाएगा। मणिपुर के मोइरांग में फहराया गया झंडा इंफाल से पेशावर और कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत के लोगों की एकजुट आकांक्षाओं का प्रतीक है। हेमम थंबलजाओ सिंह ने आजाद हिंद फौज के मुख्यालय स्थापित करने के लिए मोइरांग में अपने आवासीय घर को टिन की छत से सुसज्जित किया। इस प्रकार यह भारत की मुक्त भूमि पर आजाद हिंद फौज का पहला और एकमात्र मुख्यालय था। कर्नल शौकत अली मलिक और उनके अधिकारियों ने तीन महीने तक इस मुख्यालय से राज कायम किया । सन 1947 से एक झूठ लगातार फैलाया जा रहा है कि ” दे दी हमें आज़ादी बिना खड़क बिना ढाल”। हमें आजादी के लिए बहुत बड़ी कीमत हमारे देश के वीर सपूतों को खोकर चुकानी पड़ी है। ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऐडमन एटली ने भारत आकर कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बताया था कि हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फौज के कारण भारत को छोड़ कर गए थे ना कि मोहनदास करमचंद गाँधी के कारण। विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ जी के थापलियाल, विश्वविधालय के संस्थापक अतुल, विशिष्ट अतिथि राजन छिबबर एवं अन्य अतिथियों ने एक ही बात अपने-अपने शब्दो मे कही की असली आजादी का दिवस 14 अप्रैल होना चाहिए था। इस अवसर पर देश भक्ति के गाने और नृत्य भी प्रस्तुत किए गए।
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